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इस घटना के बाद कई तरह के अनुमान लगाए गए लेकिन बारिश या भूकंप जैसी वजहों को खारीज कर दिया गया क्योंकि उस समय न तो कोई बड़ा भूकंप आया और न ही तेज बारिश हुई थी.

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तफ्तान क्या है

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तफ्तान ईरान का एक स्तरीय ज्वालामुखी (स्ट्रेटोवॉलकेनो) है, जो पाकिस्तान सीमा से सटे सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है. इसकी समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 3,940 मीटर है. यह ज्वालामुखी मकरान सबडक्शन जोन में आता है, जहां अरेबियन प्लेट धीरे-धीरे यूरेशियन प्लेट के नीचे खिसक रही है. तफ्तान के शिखर पर मौजूद फ्यूमरोल लगातार सक्रिय रहते हैं, जिनसे निकलने वाली गर्म गैसें इसके भीतर मौजूद तापीय गतिविधि का संकेत देती हैं. 

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मॉनिटरिंग सिस्टम की सख्त जरूरत

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इस बारे में मुख्य वैज्ञानिक पाब्लो गोंजालेज ने कहा कि यह घबराहट पैदा करने के लिए बल्कि जागरूकता के लिए है. ईरानी अधिकारियों को संसाधन लगाकर निगरानी शुरू करनी चाहिए. इस इलाके में कोई भी ग्राउंड बेस्ड मॉनिटरिंग सिस्टम जैसे GPS यह सीस्मोग्राफ नहीं लगे हुए हैं और इसलिए सैटेलाइट ही मुख्य स्रोत है. 

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वैज्ञानिकों ने कहा कि अगर इसी तरह लगातार दबाव बढ़ता रहा तो गैस रिसाव, छोटे विस्फोट या जहरीली गैस निकल सकते हैं. इस पूरे इलाके में वैज्ञानिकों ने निगरानी नेटवर्क बनाने की सलाह दे रहे हैं जिससे खतरे की मैपिंग, गैस मॉनिटरिंग और आपात योजना बनाई जाएगी.

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7 लाख साल पुराना ज्वालामुखी फटने को बेताब, इस मुस्लिम देश में मंडरा रहा विनाश का बड़ा खतरा!

Prabhat Khabar
27 Dec, 2025
7 लाख साल पुराना ज्वालामुखी फटने को बेताब, इस मुस्लिम देश में मंडरा रहा विनाश का बड़ा खतरा!

Iran Taftan Volcano: ईरान के तफ्तान ज्वालामुखी में 7 लाख साल बाद हलचल के संकेत मिले हैं. जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में छपे एक रिसर्च के अनुसार सैटेलाइट डेटा से शिखर में बदलाव देखा गया है. हालांकि फिलहाल विस्फोट का कोई खतरा नहीं है लेकिन आसपास के इलाकों में सावधानी बरतने की सख्त जरूरत है.

Iran Taftan Volcano: ईरान में सालों से शांत पड़े माउंट तफ्तान ज्वालामुखी में अब एक अलग हलचल देखने को मिली है. माउंट तफ्तान ज्वालामुखी ईरान के दक्षिण पूर्वी इलाके में पाकिस्तान के पास सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है. हाल ही में हुए एक रिसर्च में पता चला कि तफ्तान के शिखर के ऊपर की जमीन धीरे-धीरे उठती नजर आ रही है.  

वैज्ञानिकों ने निगरानी बढ़ाने की दी सलाह ( Iran Taftan Volcano May erupt)

ईरान के तफ्तान ज्वालामुखी में 7 लाख सालों बाद एक अजीब सी हलचल देखने को मिली है. सैटेलाइट डाटा से पता चला है कि ज्वालामुखी के शिखर पर जमीन 9 सेमी यानी 3.5 फीट ऊपर उठ रही है और नीचे गैस जमा हो रही है. इसी के साथ स्थानीय लोगों को आसपास के इलाके से सल्फर की बदबू आ रही है. हालांकि अभी तुरंत ही इस ज्वालामुखी के फटने का खतरा नहीं है लेकिन वैज्ञानिकों ने निगरानी बढ़ाने की सलाह दी है.

9 सेमी शिखर की जमीन उठी

जूलाई 2023 से लेकर 2024 तक तफ्तान के शिखर पर कराब 9 सेंटीमीटर तक की जमीन उठ गई. यह उठाव धीरे धीरे हुआ और अब तक नीचे नहीं आया है . वैज्ञानिकों ने इंटरफेरोमेट्रिक सिंथेटिक अपर्चर रडार (InSAR) तकनीक का इस्तेमाल किया जो जमीन की छोटी-छोटी हलचल  तक को पकड़ लेती है.एक नई कॉमन मोड फिल्टरिंग  विधि से वायुमंडलीय शोर को हटाकर डेटा को और साफ किया गया, जिससे यह दबाव का स्रोत शिखर से सिर्फ 490 से 630 मीटर गहराई पर है.

20 टन सल्फर डाइऑक्साइड गैस का होता था रिसाव (Iran Volcano Taftan)

एबीसी न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों का मानना है कि शिखर पर यह उठाव ज्वालामुखी गैस या गर्म पानी (हाइड्रोथर्मल सिस्टम ) के जमा होने से हो रहा है और यही वजह है कि शिखर गुब्बारे की तरह फूलता जा रहा है. उन्होंने कहा कि ज्वालामुखी की गहराई में हल्का मैग्मा का मूवमेंट भी देखने को मिल सकता है. साल 2023 में इस इलाके के लोग सल्फर की तेज बदबू और गैस निकालने की शिकायत कर रहे हैं. रिसर्च में सामने आया कि उस समय रोजाना ही करीब 20 टन सल्फर डाइऑक्साइड गैस निकलते थे. 

इस घटना के बाद कई तरह के अनुमान लगाए गए लेकिन बारिश या भूकंप जैसी वजहों को खारीज कर दिया गया क्योंकि उस समय न तो कोई बड़ा भूकंप आया और न ही तेज बारिश हुई थी.

तफ्तान क्या है

तफ्तान ईरान का एक स्तरीय ज्वालामुखी (स्ट्रेटोवॉलकेनो) है, जो पाकिस्तान सीमा से सटे सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है. इसकी समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 3,940 मीटर है. यह ज्वालामुखी मकरान सबडक्शन जोन में आता है, जहां अरेबियन प्लेट धीरे-धीरे यूरेशियन प्लेट के नीचे खिसक रही है. तफ्तान के शिखर पर मौजूद फ्यूमरोल लगातार सक्रिय रहते हैं, जिनसे निकलने वाली गर्म गैसें इसके भीतर मौजूद तापीय गतिविधि का संकेत देती हैं. 

मॉनिटरिंग सिस्टम की सख्त जरूरत

इस बारे में मुख्य वैज्ञानिक पाब्लो गोंजालेज ने कहा कि यह घबराहट पैदा करने के लिए बल्कि जागरूकता के लिए है. ईरानी अधिकारियों को संसाधन लगाकर निगरानी शुरू करनी चाहिए. इस इलाके में कोई भी ग्राउंड बेस्ड मॉनिटरिंग सिस्टम जैसे GPS यह सीस्मोग्राफ नहीं लगे हुए हैं और इसलिए सैटेलाइट ही मुख्य स्रोत है. 

वैज्ञानिकों ने कहा कि अगर इसी तरह लगातार दबाव बढ़ता रहा तो गैस रिसाव, छोटे विस्फोट या जहरीली गैस निकल सकते हैं. इस पूरे इलाके में वैज्ञानिकों ने निगरानी नेटवर्क बनाने की सलाह दे रहे हैं जिससे खतरे की मैपिंग, गैस मॉनिटरिंग और आपात योजना बनाई जाएगी.

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