अपने पसंदीदा शहर चुनें

'फिर उगना' के लिए झारखंड की आदिवासी बिटिया डॉ पार्वती तिर्की को साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार

Prabhat Khabar
18 Jun, 2025
'फिर उगना' के लिए झारखंड की आदिवासी बिटिया डॉ पार्वती तिर्की को साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार

Sahitya Akademi Yuva Puraskar 2025: झारखंड की आदिवासी बिटिया डॉ पार्वती तिर्की को साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार-2025 मिलेगा. साहित्य अकादमी ने आज इसकी घोषणा की है. हिंदी कविता 'फिर उगना' के लिए उनका चयन इस पुरस्कार के लिए किया गया है. उन्होंने देशभर में झारखंड का मान बढ़ाया है.

Sahitya Akademi Yuva Puraskar 2025: रांची-आदिवासी बिटिया डॉ पार्वती तिर्की ने देशभर में झारखंड का मान बढ़ाया है. उन्हें 2025 के साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है. ‘फिर उगना’ हिंदी कविता संग्रह के लिए उनका चयन इस पुरस्कार के लिए किया गया है. प्रभात खबर से बातचीत में डॉ पार्वती तिर्की ने पुरस्कार के लिए चयनित होने पर प्रसन्नता जाहिर की. उन्होंने कहा कि वह फिलहाल दिल्ली में हैं. इसी दौरान उन्हें साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार के लिए चयनित किए जाने की सूचना मिली.

2025 के साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार की लिस्ट

पुरस्कार में 50 हजार रुपए कैश और उत्कीर्ण ताम्र पट्टिका

साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार, साहित्य अकादमी द्वारा 35 वर्ष से कम आयु के युवा लेखकों को 24 भारतीय भाषाओं में से किसी एक में उत्कृष्ट साहित्यिक कार्य के लिए दिया जाने वाला यह एक प्रतिष्ठित पुरस्कार है. इस पुरस्कार के तहत 50 हजार रुपए कैश दिया जाता है. इसके साथ ही एक उत्कीर्ण ताम्र पट्टिका दी जाती है.

इस बार सिर्फ 23 भाषाओं के लेखकों को ही पुरस्कार देने की घोषणा

इस वर्ष डोंगरी भाषा में कोई पुरस्कार घोषित नहीं किया गया है. 23 भाषाओं के लेखकों के लिए साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार-2025 की घोषणा की गयी है. साहित्य अकादमी की ओर से जानकारी दी गयी है कि बाद में समारोह का आयोजन कर पुरस्कार दिए जाएंगे. मैथिली भाषा के लिए बनारस आ हम (कविता ) के लिए नेहा मणि झा को और संताली में अरा साओ इन (कविता) के लिए फागू बास्की का चयन किया गया है.

इन्हें मिल चुके हैं कई सम्मान


झारखंड की युवा कवयित्री डॉ पार्वती तिर्की को विष्णु खरे युवा कविता सम्मान 2025 से भी सम्मानित किया जा चुका है. यह सम्मान कविता के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया गया है. अपनी कविताओं में उन्होंने आदिवासी जीवन को उकेरा है. उनकी कविताएं वाचिक पाठ परंपरा को समृद्ध करने वाली है. इन्हें प्रलेक नवलेखन सम्मान भी मिल चुका है.

कौन हैं डॉ पार्वती तिर्की?

झारखंड के गुमला जिले की रहने वाली डॉ पार्वती तिर्की रांची के रामलखन सिंह यादव कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. यूपी के बीएचयू (बनारस हिंदू विश्वविद्यालय) से हिंदी में पीएचडी हैं.

ये भी पढ़ें: Rath Yatra 2025 : रथ यात्रा की तैयारियां शुरू, मेले में सजेंगी 1500 से अधिक दुकानें

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Download from Google PlayDownload from App Store