Advertisement

अर्थव्यवस्था में वृद्धि दर की रफ्तार से बनी उम्मीदें, पढ़ें सतीश सिंह का लेख

अर्थव्यवस्था में वृद्धि दर की रफ्तार से बनी उम्मीदें, पढ़ें सतीश सिंह का लेख
Advertisement

Growth in Economy : पहली तिमाही में ऋण वितरण में नरमी रही, अन्यथा सेवा और विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर और बेहतर होती. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, 27 जून तक बैंक ऋण वृद्धि दर सालाना आधार पर 9.5 फीसदी बढ़कर 184.83 लाख करोड़ रुपये हो गयी थी, पर इस वृद्धि दर को विकास के लिए पर्याप्त नहीं माना जा सकता.

Growth in Economy : विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में आयी तेजी से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रही, जो पिछली पांच तिमाहियों में सबसे अधिक है. जून तिमाही में सेवा क्षेत्र में 9.3 प्रतिशत की दर से वृद्धि दर्ज हुई. वहीं इस दौरान विनिर्माण क्षेत्र में पिछली चार तिमाहियों में सबसे अधिक 7.7 फीसदी की दर से वृद्धि हुई. हालांकि, श्रम बहुल निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर विगत नौ तिमाहियों में सबसे कम 7.6 फीसदी रही. जबकि कृषि उत्पादन में 3.7 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के दोगुने से भी अधिक है. जून तिमाही में नॉमिनल जीडीपी 8.8 फीसदी की दर से बढ़ी, जबकि वित्त मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष के लिए 10.1 फीसदी की वृद्धि दर का अनुमान जताया है. ज्ञात हो कि नॉमिनल जीडीपी वृद्धि दर की गति धीमी रहने से सरकार के लिए राजकोषीय घाटे और कर्ज-जीडीपी अनुपात के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है, पर उम्मीद है कि आगामी तिमाही में इसमें अपेक्षित तेजी आयेगी.


पहली तिमाही में ऋण वितरण में नरमी रही, अन्यथा सेवा और विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर और बेहतर होती. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, 27 जून तक बैंक ऋण वृद्धि दर सालाना आधार पर 9.5 फीसदी बढ़कर 184.83 लाख करोड़ रुपये हो गयी थी, पर इस वृद्धि दर को विकास के लिए पर्याप्त नहीं माना जा सकता. इस बीच, जमा वृद्धि दर 10.06 फीसदी रही, जो सालाना आधार पर ऋण वृद्धि दर से 50 आधार अंकों से अधिक थी. वहीं, 27 जून तक जमा वृद्धि दर 234.26 लाख करोड़ रुपये रही, जबकि 28 जून, 2024 के दौरान यह 212.85 लाख करोड़ रुपये रही थी. पहली तिमाही में निजी खर्च की दर पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही की तुलना में सात फीसदी बढ़ी है, जो बेहतर मांग को दर्शाती है, जबकि सरकारी खर्च 7.4 फीसदी की दर से बढ़ी. वित्त वर्ष की पहली तिमाही में निवेश में भी 7.8 प्रतिशत वृद्धि दिखाई पड़ी, जो सार्वजनिक पूंजीगत खर्च के कारण संभव हो सकी. उल्लेखनीय है कि पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में निजी अंतिम उपभोग खर्च पांच तिमाहियों के निचले स्तर पर आ गया था. दरअसल आयकर में राहत, रेपो दर में 100 आधार अंकों की कटौती, खरीफ बुवाई की बेहतर स्थिति तथा वस्तु व सेवा कर में सुधार आदि से निजी खपत में तेजी आयी है. एफएमसीजी उत्पादों की बिक्री पहली तिमाही में बढ़कर छह फीसदी हो गयी.


उल्लेखनीय है कि पिछली छह तिमाहियों में ग्रामीण क्षेत्र में शहरी क्षेत्र की तुलना में एफएमसीजी उत्पादों की बिक्री ज्यादा हुई, जो दर्शाता है कि ग्रामीण भी अब खर्च कर रहे हैं, जो आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने से संभव हो सका है. केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा पहली तिमाही में पूंजीगत व्यय में 33.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई. पहली तिमाही में पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन में भी 9.8 फीसदी की मजबूत वृद्धि दर्ज हुई. सरकारी अंतिम उपभोग व्यय (जीएफसीई) में दर्शाये जाने वाले सरकारी खर्च में भी पहली तिमाही में 7.4 फीसदी की मजबूत वृद्धि दर्ज हुई, जबकि पिछली तिमाही में यह कम हुई थी. बहरहाल, आगामी तिमाहियों में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने से इसमें और भी बेहतरी आने की संभावना है. जुलाई में जीएसटी से केंद्र सरकार का सकल राजस्व बढ़कर 1.96 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले साल जुलाई में संग्रह से 7.5 फीसदी अधिक है. जीएसटी संग्रह में लगातार वृद्धि यह दर्शाती है कि देश में आर्थिक गतिविधियां जारी हैं. साथ ही, यह भी माना जा रहा है कि जीएसटी की नयी दरों के प्रभावी होने के बाद देश में उपभोग मांग में बढ़ोतरी हो सकती है.


अमेरिका द्वारा लगाये गये हालिया टैरिफ और वैश्विक अनिश्चितताओं का प्रतिकूल असर चालू वित्त वर्ष में घरेलू निजी निवेश पर आंशिक रूप से पड़ने की आशंका है. हालांकि, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रम एमएसएमई क्षेत्र (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रम) पर इसका विशेष प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि देश के कुल निर्यात में लगभग 45 फीसदी योगदान इस क्षेत्र का है. अमेरिकी टैरिफ के असर को कम करने के लिए प्रधानमंत्री ने हाल ही में जापान की भी यात्रा की और जापान ने अगले 10 साल में भारत में अरबों डॉलर के निवेश का लक्ष्य रखा है. इसके अलावा, दूसरे देशों के साथ कारोबारी करार करने की दिशा में भी भारत काम कर रहा है, लेकिन इसे मूर्त रूप देने में कुछ समय लगेगा. विश्लेषण से साफ है कि अमेरिकी टैरिफ का भारतीय अर्थव्यवस्था पर आंशिक असर पड़ेगा. देश में निवेश, मांग और खर्च में लगातार वृद्धि हो रही है. कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन पहली तिमाही में काफी बढ़िया रहा. इस साल मॉनसून भी ठीक रहा है. खरीफ की बुवाई बेहतर रही है, ऋण वितरण में तेजी लाने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं तथा महंगाई नियंत्रण में है. ऐसे में सेवा क्षेत्र और विनिर्माण क्षेत्र में तेजी का दौर आगामी तिमाहियों में भी जारी रह सकता है और चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 6.5 से सात फीसदी के बीच रह सकती है.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

Advertisement
संबंधित टॉपिक्स
सतीश सिंह

लेखक के बारे में

सतीश सिंह

Contributor

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Download from Google PlayDownload from App Store
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement