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राष्ट्रीय एकता की जीवंत मिसाल थे वाजपेयी जी

राष्ट्रीय एकता की जीवंत मिसाल थे वाजपेयी जी
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Atal Bihari Vajpayee: अटल बिहारी वाजपेयी जी का जीवन हमें यह स्मरण कराता है कि राजनीति का सर्वोच्च उद्देश्य सत्ता नहीं, बल्कि सेवा, संवेदनशीलता और सामाजिक न्याय है. झारखंड का गठन, जनजातीय कार्य मंत्रालय की स्थापना और आदिवासी समाज के प्रति सम्मान-उनकी यही दूरदर्शी विरासत आज केंद्र सरकार की नीतियों में निरंतर साकार हो रही है.

Atal Bihari Vajpayee: पच्चीस दिसंबर का दिन भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में स्मरण, सम्मान और संकल्प का दिवस है. आज हम देश के महान युगद्रष्टा, राष्ट्रनायक, कवि हृदय राजनेता और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी केवल सत्ता के शिखर पर आसीन नेता नहीं थे, वह संवेदनशीलता, समावेशन और राष्ट्रीय एकता की जीवंत मिसाल थे. उनके लिए विकास का अर्थ था-एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण, जिसमें अंतिम पंक्ति में खड़ा व्यक्ति भी स्वयं को सहभागी महसूस करे. अटल बिहारी वाजपेयी जी की दूरदर्शिता का सबसे सशक्त उदाहरण 15 नवंबर, 2000 को झारखंड राज्य का गठन था. यह केवल एक नया राज्य बनाने का निर्णय ही नहीं था, बल्कि आदिवासी समाज की ऐतिहासिक पहचान, सांस्कृतिक विरासत और वर्षों से चली आ रही आकांक्षाओं को सम्मान देने का एक साहसिक कदम भी था. अटल जी यह मानते थे कि भारत की शक्ति वस्तुत: उसकी विविधता में निहित है, और प्रशासनिक संरचनाएं आखिरकार तभी सफल हो सकेंगी, जब वे स्थानीय समाज की आत्मा से जुड़ी हुई हों. इस अर्थ में झारखंड का गठन केवल भूगोल पर खींचा गया कोई खाका नहीं था, बल्कि यह आदिवासी अस्मिता को दिया गया संवैधानिक सम्मान था.

अटल बिहारी वाजपेयी जी ने जनजातीय समाज के कल्याण के लिए एक समर्पित ढांचे की आवश्यकता को समझते हुए ही जनजातीय कार्य मंत्रालय का गठन किया था. इसके जरिये पहली बार आदिवासी कल्याण को नीति-निर्माण के केंद्र में रखा गया था. शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका, आवास और सांस्कृतिक संरक्षण-इन सभी क्षेत्रों में लक्षित हस्तक्षेपों के लिए यह मंत्रालय आज एक सशक्त माध्यम बन चुका है. जनजातीय कार्य मंत्रालय आज कई प्रभावी और परिणामोन्मुखी योजनाओं के माध्यम से देश के आदिवासी बहुल क्षेत्रों का समग्र विकास सुनिश्चित कर रहा है. जैसे, प्रधानमंत्री वनबंधु कल्याण योजना के अंतर्गत जनजातीय बहुल क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, सड़क और आजीविका जैसे बुनियादी क्षेत्रों पर समेकित रूप से कार्य किया जा रहा है. एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय आदिवासी विद्यार्थियों को आवासीय शिक्षा उपलब्ध करा रहे हैं.

प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना (पीएम-एएजीवाइ) के माध्यम से देश के आदिवासी बहुल गांवों में आधारभूत संरचना और सामाजिक सुविधाओं का विस्तार किया गया है. वहीं वन धन योजना के तहत वन उत्पादों के मूल्य संवर्धन से जुड़े 50,000 से अधिक वन धन विकास केंद्र गठित किये गये हैं, जिनके जरिये लाखों आदिवासी परिवारों की आय में प्रत्यक्ष रूप से बढ़ोतरी हुई है. यह योजना परंपरागत ज्ञान को आधुनिक बाजार से जोड़ने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है. इसके साथ-साथ, प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान और धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के माध्यम से विशेष रूप से अति संवेदनशील जनजातीय समूहों तक आवास, स्वास्थ्य, पेयजल, स्वच्छता, शिक्षा और आजीविका की सुविधाएं सुनिश्चित की जा रही हैं. ये तमाम पहल यह प्रमाणित करती हैं कि केंद्र सरकार की नीतियां योजनाओं से आगे बढ़कर वास्तविक धरातल पर प्रभाव सुनिश्चित करने पर केंद्रित हैं. विकास तभी सार्थक है, जब वह इस देश के आखिरी गांव तक पहुंचे. इसी संकल्प के साथ आज माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में आदिवासी समाज के कल्याण को नयी गति और नयी दिशा मिली है. ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के मंत्र के साथ केंद्र सरकार ने आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, डिजिटल कनेक्टिविटी और कौशल विकास को प्राथमिकता दी है. पिछले वर्षों में झारखंड ने अवसंरचना, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है.

राज्य में उच्च शिक्षा संस्थानों-आइआइटी, आइआइएम, आइआइआइटी और केंद्रीय विश्वविद्यालय ने ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था को गति दी है. ऐसे ही, देवघर एम्स और नये मेडिकल कॉलेजों ने स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ायी है. आदिवासी युवाओं के लिए कौशल प्रशिक्षण और स्वरोजगार के अवसरों ने उन्हें आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को साकार करने के अवसर उपलब्ध करवाये हैं. जबकि सड़क, रेल और डिजिटल कनेक्टिविटी परियोजनाओं ने दूरस्थ अंचलों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ा है, जिससे उद्योग, व्यापार और रोजगार के नये-नये अवसर सृजित हुए हैं. झारखंड की पावन धरती भगवान बिरसा मुंडा जैसे महान जननायक की जन्मभूमि है. वर्ष 2025 में उनकी 150वीं जयंती का यह पावन अवसर उनके स्वाभिमान, न्याय और आत्मनिर्भर आदिवासी समाज के स्वप्न को स्मरण करने और आगे बढ़ाने का संकल्प भी है.

माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का निर्णय आदिवासी इतिहास और संघर्ष को राष्ट्रीय चेतना में प्रतिष्ठित करने का एक ऐतिहासिक कदम है. यह दिवस हमें याद दिलाता है कि आदिवासी समाज ने न केवल स्वतंत्रता संग्राम में, बल्कि भारत की सांस्कृतिक आत्मा के निर्माण में भी अमूल्य योगदान दिया है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अंतर्गत पोषण अभियान, आंगनवाड़ी सशक्तिकरण, मिशन वात्सल्य, पीएम मातृ वंदना योजना, ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ और वर्किंग विमेन हॉस्टल्स जैसी योजनाएं आदिवासी क्षेत्रों में सामाजिक परिवर्तन की मजबूत आधारशिला रख रही हैं. इन पहलों से आदिवासी महिलाओं और बच्चों के जीवन में वास्तविक बदलाव आया है.

जब आदिवासी महिला सशक्त होती है, तो पूरा परिवार और समुदाय आगे बढ़ता है-यही हमारी नीतियों का मूल दर्शन है. अटल बिहारी वाजपेयी जी की समावेशी राष्ट्र दृष्टि और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के तेज गति विकास मॉडल के समन्वय से विकसित भारत @2047 का संकल्प आकार ले रहा है. झारखंड जैसे राज्य प्राकृतिक संसाधनों, युवा शक्ति और सांस्कृतिक विरासत के कारण इस लक्ष्य में निर्णायक भूमिका निभायेंगे. सतत विकास, पर्यावरण संरक्षण, आदिवासी अधिकार और आधुनिक अवसंरचना-इन सभी का संतुलन ही दरअसल विकसित भारत की पहचान बनेगा. अटल बिहारी वाजपेयी जी का जीवन हमें यह स्मरण कराता है कि राजनीति का सर्वोच्च उद्देश्य सत्ता नहीं, बल्कि सेवा, संवेदनशीलता और सामाजिक न्याय है. झारखंड का गठन, जनजातीय कार्य मंत्रालय की स्थापना और आदिवासी समाज के प्रति सम्मान-उनकी यही दूरदर्शी विरासत आज केंद्र सरकार की नीतियों में निरंतर साकार हो रही है.

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अन्नपूर्णा देवी

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