अपने पसंदीदा शहर चुनें

नवरात्रि में बिहार के इस मंदिर में महिलाओं की नो एंट्री, वजह कर देगी हैरान

Prabhat Khabar
22 Sep, 2025
नवरात्रि में बिहार के इस मंदिर में महिलाओं की नो एंट्री, वजह कर देगी हैरान

Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि के शुभारंभ के साथ ही देशभर में मां दुर्गा की आराधना का पावन पर्व शुरू हो गया है. किंतु नालंदा जिले के प्रसिद्ध घोसरावा गांव के आशापुरी मंदिर में अश्विन और चैत्र नवरात्र के दौरान महिलाओं का प्रवेश वर्जित रहता है.

Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि के शुभारंभ के साथ ही देशभर में मां दुर्गा की आराधना का पावन पर्व शुरू हो गया है. हर साल की तरह इस बार भी करोड़ों श्रद्धालु नौ दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मातृभक्ति की उपासना कर रहे हैं. किंतु नालंदा जिले के प्रसिद्ध घोसरावा गांव के आशापुरी मंदिर में अश्विन और चैत्र नवरात्र के दौरान महिलाओं का प्रवेश वर्जित रहता है.

नौ दिनों तक महिलाओं के लिए प्रतिबंध

मिली जानकारी के मुताबिक गिरियक प्रखंड के घोसरावां गांव में स्थित मां आशापुरी मंदिर में नवरात्रि के नौ दिनों तक महिलाओं के प्रवेश पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया जाता है. यहां तक कि महिलाओं को मंदिर परिसर में भी प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाती है. वहीं, पुरुष श्रद्धालु भी इन नौ दिनों तक मंदिर के गर्भगृह में दर्शन नहीं कर सकते.

पूर्वजों से चली आ रही परंपरा

इस मंदिर की यह परंपरा पूर्वजों से चली आ रही है. नवरात्रि के दौरान यहां विशेष तांत्रिक अनुष्ठान का आयोजन होता है, जिस कारण यह निर्णय लिया गया था. नवरात्रि के दौरान मंदिर के गर्भगृह में सिर्फ तीन पुजारियों का ही प्रवेश होता है. सुबह और शाम के वक्त चार से पांच घंटे तक चंडी पाठ किया जाता है. इसमें विशेष तांत्रिक विधियों का प्रयोग किया जाता है.

तंत्र-मंत्र का है विशेष महत्व

कहा जाता है कि नवरात्रि के दौरान यहां विशेष तंत्र-मंत्र की साधना की जाती है, जिससे नकारात्मक शक्तियां सक्रिय हो जाती हैं. इस दौरान अगर महिलाएं मौजूद रहेंगी तो उन पर बुरी शक्तियों के प्रभाव पड़ने का खतरा रहता है, जिस कारण पूरी पूजा विधि बाधित हो सकती है.

नौवीं सदी से चली आ रही परंपरा

यह परंपरा आज से नहीं बल्कि नौवीं शताब्दी से चली आ रही है. उस समय यह स्थान विश्व के प्रमुख बौद्ध साधना केंद्रों में से एक हुआ करता था. यहां आकर बौद्ध भिक्षु तंत्र-मंत्र की गहन साधना करते थे. यहां दूर-दूर से तांत्रिक भी आते थे और नवरात्रि के दौरान यहां विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जाता था.

बिहार की ताजा खबरों के लिए यहां क्लिक करें  

विशेष हवन के बाद एंट्री

बता दें कि नवरात्रि के अंतिम दिन विशेष हवन पूरा होने के बाद महिलाओं और पुरुषों दोनों को ही मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी जाती है. कहा जाता है कि यह हवन मंदिर की नकारात्मक ऊर्जा को शुद्ध करने के लिए किया जाता है. इस मंदिर का नाम ‘आशापुरी’ इसलिए रखा गया है क्योंकि यहां सच्चे भाव से मांगी गई मनोकामनाएं जरूर पूरी होती हैं. यहां बंगाल, झारखंड, ओडिशा और बिहार समेत कई राज्यों के श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं.

इसे भी पढ़ें: मुजफ्फरपुर के इस अस्पताल में शुरू हुई नई सुविधा, अब मरीजों को बाहर जाने का झंझट खत्म

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Download from Google PlayDownload from App Store