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संत पैट्रिक चर्च, चितरपुर : आस्था और सेवा की 127 वर्ष की यात्रा

Prabhat Khabar
22 Dec, 2025
संत पैट्रिक चर्च, चितरपुर : आस्था और सेवा की 127 वर्ष की यात्रा

चितरपुर की पहचान बने सीएनआइ संत पैट्रिक चर्च ने आस्था, सेवा और समर्पण की यात्रा के 127 वर्ष पूरे कर लिये हैं.

सुरेंद्र कुमार, चितरपुर चितरपुर की पहचान बने सीएनआइ संत पैट्रिक चर्च ने आस्था, सेवा और समर्पण की यात्रा के 127 वर्ष पूरे कर लिये हैं. नौ अक्तूबर 1898 को निर्मित यह चर्च रामगढ़ जिले का सबसे पुराना चर्च माना जाता है. ब्रिटिश काल में स्थापित यह चर्च धार्मिक आस्था का केंद्र होने के साथ-साथ सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक चेतना का भी प्रतीक रहा है. समय के साथ शहर और पीढ़ियां बदलीं, लेकिन संत पैट्रिक चर्च आज भी श्रद्धा और विश्वास के साथ लोगों को आकर्षित करता है. क्रिसमस का उल्लास विशेषकर क्रिसमस पर्व के दौरान यह चर्च आस्था, उल्लास और भाईचारे का केंद्र बन जाता है. दूर-दराज से लोग यहां पहुंचकर प्रभु यीशु मसीह के जन्मोत्सव में सहभागी बनते हैं. 24 दिसंबर की संध्या को विशेष आराधना और 25 दिसंबर की सुबह प्रार्थना सभा आयोजित होती है. बड़ी संख्या में लोग शामिल होकर शांति, प्रेम और सद्भाव की कामना करते हैं. इस अवसर पर चर्च परिसर को रंग-बिरंगी रोशनी, फूलों और धार्मिक प्रतीकों से सजाया जाता है. चरनी सजाकर प्रभु यीशु के जन्म की झांकी प्रस्तुत की जाती है, जो लोगों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र होती है. बाजारों की रौनक क्रिसमस के आगमन के साथ ही चितरपुर और आसपास के बाजारों में उत्सव की रौनक देखने को मिलती है. केक, मोमबत्तियां, सितारे, सजावटी सामान और उपहारों की दुकानों पर भीड़ उमड़ पड़ती है. घरों में साफ-सफाई और सजावट का कार्य पहले से शुरू हो जाता है. विभिन्न प्रकार के केक और पारंपरिक पकवान तैयार किए जाते हैं, जिससे हर घर में खुशी और उल्लास का वातावरण बनता है. गौरवशाली इतिहास चर्च परिसर में स्थित बपतिस्मा कुंड पर लगे ताम्र पत्र में ौ अक्तूबर 1898 की तिथि अंकित है. यह ताम्र पत्र पंजाब केवेलरी के आर्चीबाल्ड जेएस टेलर की स्मृति में लगवाया गया था. संत पैट्रिक चर्च का इतिहास इंग्लैंड के डबलिन मिशन यूनिवर्सिटी से जुड़ा हुआ है. छोटानागपुर में एंग्लिकन कलीसिया की स्थापना 23 मार्च 1890 को हुई थी. रेव्ह जेसी हिटली 1860 में रांची पहुंचे और उन्हें यहां का प्रथम मिशनरी माना जाता है. बाद में डबलिन मिशन यूनिवर्सिटी के मिशनरियों ने हजारीबाग को अपना केंद्र बनाया, जिसके अंतर्गत रामगढ़ और चितरपुर क्षेत्र में धार्मिक गतिविधियों का विस्तार हुआ. पादरियों की सेवा इस चर्च में वर्षों तक कई ब्रिटिश और भारतीय पादरियों ने सेवा दी है. इनमें रेव्ह सी फिंच, रेव्ह सीडब्ल्यू थॉमस, रेवा पीएस दान रेवन, रेव्ह जी हेंब्रम, रेव्ह इडी सोय और रेव्ह सीएन केरकेट्टा प्रमुख रहे. वर्ष 1960 के बाद रामगढ़ पेरिश का केंद्र चितरपुर से रामगढ़ स्थानांतरित हो गया. वर्तमान में रामगढ़ के पेरिश प्रीस्ट रेव्ह सुधीर लकड़ा ही संत पैट्रिक चर्च का संचालन कर रहे हैं, जबकि यहां प्रचारक के रूप में लूकस पूर्ति पदस्थापित हैं. शांति और भाईचारे का संदेश रेव्ह सुधीर लकड़ा ने कहा कि प्रभु यीशु मसीह का जन्म मानवता को प्रेम, क्षमा और करुणा का संदेश देता है. क्रिसमस हमें सिखाता है कि हम एक-दूसरे के दुःख-दर्द को समझें और समाज में शांति एवं सौहार्द स्थापित करें. उन्होंने कहा कि यह पर्व सभी धर्मों और समुदायों को जोड़ने वाला है, जो मानव जीवन में आशा और नई ऊर्जा का संचार करता है. संत पैट्रिक चर्च पिछले 127 वर्षों से धार्मिक आस्था का केंद्र ही नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और भाईचारे का मजबूत स्तंभ भी बना हुआ है. आने वाली पीढ़ियों के लिए यह विरासत प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी.

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